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संस्कृत पद्य साहित्य का उद्भव एवं विकास

संस्कृत पद्य साहित्य का उद्भव एवं विकास   पद्य साहित्य को सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में ही देखा जाता है इसका कारण यह है कि संस्कृत की सर्वप्राचीन भाषा रही है तथा वेदों के पश्चात् सर्वप्रथम रचित ग्रन्थ आदि काव्य रामायण  है वस्तुत: काव्य (पद्य ) बीज तो वेदों में ही मिलते हैं किन्तु  उनके काव्य ग्रन्थ में संकलन की स्थिति नहीं मिलती भारतीय कवियों को काव्य निर्माण की प्रेरणा के मूलभूत स्तोत्र रामायण और महाभारत में सन्निहित है। रामायण को आदि काव्य कहा जाता है जिसका अंगीरस करुण है महाभारत का अंगीरस शान्त रस है इनके बाद लिखे जाने वाले महाकाव्यों शृंखला लम्बी है इनकी रचना करते समय बाद के सभी कवियों ने अपने  अपने महाकाव्यों की रचना के लिए इन्ही से कथानक प्राप्त किये है इन्ही से नायक भी लिये है वर्णन कला भी इन्ही से सीखी है इस परम्परा में पाणिनि वररुचि से लेकर महाकवि कालिदास,माघ भारवि आदि अन्य कवि आते है इन सभी महाकवियों ने रामायण और महाभारत से विषय ग्रहण कर काव्य रचनाएं की अत एव रामायण और महाभारत उपजीव्य काव्य तथा ये सभी महाकाव्य उपजीवी कहे गये पद्य साहित्य में महाकाव्य एवं ...